
होली आई
खेलों रे सब
प्रेम का रंग पिचकारियों में डाल
लगाओ तो लगाओ
बस प्यार का गुलाल
बसंत है
प्यार के रंगों में डूबा हुआ
खुमार भरा मौसम
ऐसा हो कि सब झूम उठें
आज तो कम से कम
रह न जाए किसी को कोई ग़म
तोड़ दो सारे बंधन
छोड़ दो आज के दिन
सब लाज शरम
पर उसको भी मत छोड़ना
जिसका
दिमाग रंग लगाने से
हो जाता हो गरम
जिनके पास नहीं तुम
जो तुम्हारे पास नहीं
पर उनको भी
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