कबसे मिलने की हसरत थी जिनसे जब वो सामने हैं
खड़े
जुबां खुलती ही नहीं कदम बढ़ाया नहीं जाता।
नहीं बात तो कुछ भी नहीं , न कोई रंजो गम है
पर न जाने क्यों इन दिनों हमसे खुलकर मुस्कराया नहीं जाता।
कोई भी गिला,शिकवा ,गैरों से ,अपनों से किया नहीं जाता
हाल दिल का अपने किसी से सुनाया
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