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जुबां तक आई है

जाने क्या क्या दर्द सहे इस दिल ने

तब जाके ये दास्तां जुबां तक आई है।


शोरोगुल से घबराकर हम ही भागे थे

अब जाने क्यूं डराती ये तन्हाई है।


क्या गिला औरों से सीने में भड़कते छुपे शोलों का,

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