अक्सर सलीके से जख़्म कुरेंदा उन लोगों ने जिनसे उम्मीदें कितनी थी कि जख़्मों पर लगायेंगे मरहम।
उम्मीदें जिनसे थी जब भी आयेंगे,आयेंगे खुशियां लेकर
पर वो जब भी आये ,देकर चले गये एक नया ग़म।
उनके चेहरों
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