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अनुत्तरित प्रश्न

उतारकर सब छद्म आवरण

मैं था सम्मुख तुम्हारे

पता नहीं देने की कुछ थी अभिलाषा

या याचक बन कर कुछ पाने को खड़ा था ।

अंतर्मन के सुनकर स्वर चुने पथ मैंने

किया जो करना था

कहा जो कहना था

कुछ प्र

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