तुम्हें असमय खोने का दुख
तुमसे अंतिम बार न मिल पाने का दुख
तुम्हारे अंतिम दर्शन न कर पाने का दुख
बहुत कुछ जो किया जाना था
वो न कर पाने का दुख
बहुत कुछ अनकहा न कह पाने का दुख
बहुत कुछ जो कह दिया वो कहने का दुख
तुम्हारे अंतिम दिनों के अकेलेपन के दुख
जो बांट न पाया।
पर साथ हैं
बचपन की न जाने कितनी ही सुखद स्मृतियां
वो सहज ,सरल प्यार तुम्हारा
Read More! Earn More! Learn More!