आज फिर अतीत से एक परछाईं
अकस्मात कहीं से उभर आई।
आज फिर कोई सोया हुआ
स्वप्न सहसा जाग गया।
आज फिर थके मन और क्लांत तन में
Read More! Earn More! Learn More!
आज फिर अतीत से एक परछाईं
अकस्मात कहीं से उभर आई।
आज फिर कोई सोया हुआ
स्वप्न सहसा जाग गया।
आज फिर थके मन और क्लांत तन में