कौन सा अबूझा ,अबोला दुख है
जो पैठा जाता है गहरा इस जीवन में,
बेबात ही जाने क्यों
छलक जाते हैं आंखों से आंसू,
बैठे बिठाए बेवजह भर आता है दिल।
आवाज में जाने क्यूं पानी भर आता है
सूख सी जाती हैं आंखें
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कौन सा अबूझा ,अबोला दुख है
जो पैठा जाता है गहरा इस जीवन में,
बेबात ही जाने क्यों
छलक जाते हैं आंखों से आंसू,
बैठे बिठाए बेवजह भर आता है दिल।
आवाज में जाने क्यूं पानी भर आता है
सूख सी जाती हैं आंखें