आभासी संसार's image

आभासी पथों पर

डोलती हैं कितनी ही छायाएं।

कितने स्वर हैं यहां गूंजतें

कितने युद्ध अब लड़े जाते यहां

यहां हैं अब सैनिक और सेनाएं।

कितने सत्य अब गढ़े जाते यहां

कितने झूठों को दी जाती यहां हवाएं।

यहां पलती हैं कितनी ही संभावनाएं

यहीं से जन्म लेती हैं कितनी ही घटनाएं ।

कितनी ही बार छुपे सत्य

होते हैं उजागर यहीं से

छद्म आवरणों में लोग यहां रहते

अपना असली रुप छिपाए।

यहां से कितनी ही बार मिलती है

जिनको आवश्यकता है उनको सहायताएं ।

यहां से जग जान पाता है

कितनी ही छुपी हुई कथाएं।

यहां से लोग सुना पाते हैं

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