रहते है वहाँ अर्से से, पर छोड़ देने का भी डर नहीं होता
कि हर एक ठिकाना तो घर नहीं होता
किस्मत को बदलना होगा, कि हम बदल गए हैं
पहले जो हो जाता था, अब हमसे वो सब्र नहीं होता
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रहते है वहाँ अर्से से, पर छोड़ देने का भी डर नहीं होता
कि हर एक ठिकाना तो घर नहीं होता
किस्मत को बदलना होगा, कि हम बदल गए हैं
पहले जो हो जाता था, अब हमसे वो सब्र नहीं होता
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