
समंदर का किनारा होगा, किनारे पे तन्हाई होगी,
लहरों के शोर में ख़ामोशी ढूंढेंगे, कहाँ मालूम था,
किस मोहब्बत से पिरोये थे वफ़ा के मोती इश्क़ के धागे में मैंने,
रेत में बिखरे मोतियों को ढूढेंगे, कहाँ मालूम था।
बादल की बेचैनी को देखिये, बरसने को बेताब है,
बरसात में कोई आसरा ढूढेंगे, कहाँ मालूम था,
थमी जो बरसात तोह सन्नाटा पसर गया,
सन्नाटे में अब उस आवाज़ को ढूंढेंगे, कहाँ मालूम था।
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