
कविता
तुम. . . . . . . . . . .
हर मुश्किल का, हल हो तुम
मिले आज ,पर कल हो तुम
तेरे बिन, कमज़ोर हूँ बेहद
भीतर वाला, बल हो तुम
अंतर्मन में, आग लगी है
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कविता
तुम. . . . . . . . . . .
हर मुश्किल का, हल हो तुम
मिले आज ,पर कल हो तुम
तेरे बिन, कमज़ोर हूँ बेहद
भीतर वाला, बल हो तुम
अंतर्मन में, आग लगी है