![उलझन's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40akib-javed/None/1638448580872_02-12-2021_18-06-25-PM.png)
बहुत उलझन में हूँ!
रस्ते भटक रहे है अब!
कंकड़ियां सवाल कर रही मुझसे,
जवाब किसी गुफ़ा में चले गए है।
नदी में समुद्र कूद रहा है मौन सा,
पौधे पेड़ो से करते है चतुराई,
बहुत उलझन में हूँ!
शोर ने ताला लगा दिया मौन पर,
उलझने दिमाग से करे शिकायत,
वहस ज़िन्दा निगल रही ज़िन्दगी,
क्रूरता ने ख़ूबसूरती पे डाला पहरा।
बहुत उलझन में हूँ,
रस्ते
Read More! Earn More! Learn More!