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राष्ट्र कैसे करेगा प्रगति

माहौल इतना भी न गर्माया करो

मजलूमों को ऐसे न सताया करो

सियासत की कुर्सी की चाहत में

आग दंगों की ना भड़काया करो।


मिल गयी है अफ़ीम उन्हें धर्म की

मिलती है सज़ा सबको कुकर्म की

एकता की ज़रूरत बहुत राष्ट्र को

परवाह करो मज़लूमों के मर्म की


अख़बारों की हुई

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