
कविता प्रयोगशाला में आचरण
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मिलते है प्रयोगशाला में
धीर गंभीर,चंचल,चतुर, शांत बच्चें
विद्यालय अनुशासन केंद्र न होकर
होता है नैतिक आचरण घर।
जहां तराशे जाते है बच्चें
जिनके घर का माहौल,
आस पास का समाज
लिए बैठा है दिमाग में कूड़ा
शराबी, कबाबी,स्त्री के साथ दुर्व्यवहार
और न जाने कितनी अनैतिकता सीखता है
विद्यालय आने से पहले
दिमाग में कौतूहल के साथ - साथ
सब रचा बसा होता है।
केवल पुस्तकों का ज्ञान
और किताबी कीड़ा बनाना नही होता
बच्चों के अंदर भरनी पड़ती है
राष्ट्रभक्ति,सामाजिक भावना।
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