माँ
माँ की ममता सा नही कोई भी देखा अपना
खून के आँसू से औलाद भी पाला अपना
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पोछने को नही आता यहाँ कोई आँसू
कौन है माँ के सिवाए हमें कहता अपना
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देखता तक नही औलाद वो जो साहब हो कर
माँ ने औलाद पे घर - बार लुटाया अपना
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ये घरौंदा जो बसाया पसीने से उसने
परवरिश में माँ ने सब कुछ तो लुटाया अपना
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