अंतर्मन से अपने जब कोई आवाज सुनो
जिंदगी के सफर में बेसबब निकल पड़ो
किसी रोज किसी सफर में जब हम निकल पड़े
परेशान भीड़ में हमें लोग ऐसे मिलते चले गये
हर रोज तमाम लोग ऐसे दुःख से मारे हुए
अनगिनत सवाल,अपने हाल में ही छोड़े हुए
बिना कुछ कहे, हमसे भी यूँ मिलते चले गए
हमे हर रोज जिंदगी से एक नए सवाल मिलते चले गए
कोई फटे-हाल जिंदगी जीने को मजबूर सा हो गया
कोई जिंदगी के बेतरीन स्वाद चखते चला गया
कोई खुदा की हर नेमत पाने के बावजूद,
हमेशा खु
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