सरे बाजार सौदा हो रहा है।
लहू पानी से सस्ता हो रहा है।
बहुत बढ़ने लगी बेरोजगारी,
सियासत का करिश्मा हो रहा है।
हवा चलने लगी है; नफ़रतों की,
तभी इतना ख़सारा हो रहा है।
बुलंदी में है परचम मुल्क़ का यूँ,
जहाँ में नाम ऊँचा हो रहा है।
गरीबो को मिली है छत यहाँ पे,
सुनो यारों दिखाव
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