ग़ज़ल- आईना भी छिपा नहीं सकता's image
402K

ग़ज़ल- आईना भी छिपा नहीं सकता

#ग़ज़ल 


बोझ ग़म का उठा नहीं सकता।

दर्द  अपना  बता  नहीं सकता।


इश्क़  का  रोग  जो  लगाया है,

आईना  भी  छिपा  नहीं सकता।


ज़िंदगी  है तो  ग़म  मिलेंगे ही,

हौसलें को  डिगा  नहीं  सकता।


दर - ब - दर  ठोकरें&nb

Tag: akib और4 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!