आवाज़'s image

कौतूहल चारों तरफ फैला हुआ है,

रमणीक दृश्य के साथ -साथ -

अंजान वीभत्स रूप भी तो है।

तो कहीं अनसुना सा शोर मचा है,

पूरे ब्रह्माण्ड में गूंज रही है आवाज़,

वो आवाज़ है कमज़ोर - असहाय,

कृषक, मज़दूर,छात्र,दलित - आदिवासी,मजलूमों की।

कभी - कभी दबा दी जाती है आवाज़,

उभर कर आती आवाज़ें,

दब जाती है बंदूक के शोर

Tag: poetry और4 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!