
*मंच को समर्पित दूसरी रचना*
थोड़ा ख़मोशी ओढ़े
किसी कोने में पड़ें
पढ़ रहा अख़बार
ढूँढ़ रहा है ख़बर!
मिल जाए शायद
उसे जो चाहिए
चाशनी में डूबी हुई
थोड़ा नमकीन सी
भीनी खुशबूदार
जिसे गटक कर
खुश हो ले और
काट ले अपने
ये भयानक दिन
जो नही
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