
रील बनाने वाली सभ्यता से
सभी उम्मीद लगाए हैं
संस्कारवान बनने के लिए,
जो बने हुए है
चकर घिन्नी
व्यूज और लाइक के चक्कर में।
अंग प्रदर्शन मानो
स्टाम्प है
इन सबकी
सफलता के लिए।
मीडिया सोशल न होके
बना रहा सबको असामाजिक
दो मुँहा समाज
अपने चाल चरित्र को
संभालते - संभालते
धँस जाता है
करोड़ों फिट अंदर।
एआई ने बिगाड़ दिए है
सबके खेल
नियम बदलना ही होगा
बुद्धि प
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