क्या है जरुरी?
मन के विचार
निकले हमेशा कविता बनकर,
या जीवन का गद्यांश होना सच्चा है
प्रवहित रहे, मन सागर में बहते रहे
या मन समर में जीवित रहे तो अच्छा है
उतरकर कागज़ पर न जाने
क्यों वो मर सा जाता है
और बिकते बाज़ारों में फिर मौल लगाया जाता है
दुखता तन बदहवास रहे तो अच्छा है
हथेलियों की थापें खाने से बेहतर
एक मन की आवाज रहे तो अच्छा है।
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