मां-बाप's image
एक की मिट्टी एक का ताप|
यूं मुझमें बसते मेरे मां-बाप||

हाल पूछना यूँ फलदाई, 
ज्यों किसी मंत्र का लाखों जाप|

दुख में खुद आगे आते हैं
गर, सुख में भूलूं वे करते माफ||

उनकी मुस्कान देती आशीष 
व उनकी पीड़ा बन जाती शाप||

तू उनकी सेवा करता रह 
सच होंगे सपने अपनेआप||

संतान
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