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ठंडी क्या आफत है भाई

ठंडी क्या आफत है भाई ,
सर पे टोपी बदन रजाई ,
भूले सारे  सैर सपाटा ,
गलियों में कैसा सन्नाटा,
दादी का कैसा खर्राटा, 
जैसे कोई धड़म पटाखा ,
पानी से तब हाथ कटे है , 
जब जब आटा हाथ सने है,
भिंडी लौकी कटे ना भाई ,
सर पे टोपी बदन रजाई ,
ठंडी क्या आफत है भाई।

भूल गए सब चादर वादर, 
कूलर भी ना रहा बिरादर,
क्या दुबले क्या मोटे तगड़े ,
एक एक कर सबको  रगड़े,
थर थर थर थर कंपते गात ,
और मुंह से निकले भाप , 
बाथ रूम को जब भी जाते,
बूंद बूंद से बच कर जाते, 
मौसम ने क्या ली अंगड़ाई,
सर पे टोपी बदन रजाई ,
ठंडी क्या आफत है भाई।

ऐ.सी.ने फुरसत पाई है,&nbs
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