साँप की हँसी होती कैसी's image
103K

साँप की हँसी होती कैसी

जब देश के किसी हिस्से में हिंसा की आग भड़की हो , अपने हीं देश के वासी अपना घर छोड़ने को मजबूर हो गए हो  और जब अपने हीं देश मे पराये बन गए इन बंजारों की बात की जाए तो क्या किसी व्यक्ति के लिए ये हँसने या आलोचना करने का अवसर हो सकता है? ऐसे व्यक्ति को जो इन परिस्थितियों में भी विष वमन करने से नहीं चूकते  क्या इन्हें  सर्प की उपाधि देना अनुचित है ? ऐसे हीं महान विभूतियों के चरण कमलों में सादर नमन करती हुई प्रस्तुत है मेरी व्ययंगात्मक कविता "साँप की हँसी होती कैसी"?

-------
साँप की हँसी होती कैसी,
शोक मुदित पिशाच के जैसी।
जब देश पे दाग लगा हो,
रक्त पिपासु काग लगा हो।
--------
जब अपने हीं भाग रहे हो,
नर अंतर यम जाग रहे हो।
नारी के तन करते टुकड़े,
बच्चे भय स
Tag: politics और1 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!