![किसान भाई अपनी मेहनत का उचित मूल्य न पावे's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40ajay-singh-yadav/None/1672955043665_06-01-2023_03-14-05-AM.png)
सुबह होत खेतन को जावे,
शाम होत घर वापस आवे।
दिन भर खेतन में हल चलावे
फिर भी अपनी मेहनत का उचित मूल्य न पा पावे।
खाद बिया का दाम हवाई
दाम सुन किसान भाई का सिर जाई चकराई।
फिर भी किसान कुछ न बोलत भाई
रुपैया इंतज़ाम कर खाद बिया घर लई जाई।
सोंच फसल तैयार होई , तब कर्जा निपट जाई
जाई म
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