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किसान भाई अपनी मेहनत का उचित मूल्य न पावे

सुबह होत खेतन को जावे,
शाम होत घर वापस आवे।
दिन भर खेतन में हल चलावे 
फिर भी अपनी मेहनत का उचित मूल्य न पा पावे।
खाद बिया का दाम हवाई 
दाम सुन किसान भाई का सिर जाई चकराई।
फिर भी किसान कुछ न बोलत भाई 
रुपैया इंतज़ाम कर खाद बिया घर लई जाई।
सोंच फसल तैयार होई , तब कर्जा निपट जाई 
जाई म
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