पूरी औरत's image
उडेल दिया हुस्न सारा मीठी कविताओं में
कभी नयन लिखे
कभी लब लिखे
कभी जुल्फ लिखी
तो कभी सुराही दार गर्दन लिखी
माथे की बिंदिया हो
या पैरों की पायल हो
कमर बंध हो या
हाथों का कंगना हो
हर एक लिखी हर बात लिखी
मीठी कविता लिखने के लिए औरत जात लिखी
छोड़ दिये दुःख सारे
भूल गये यातनाएं
जो सही थी उसने दिन और रात
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