उडेल दिया हुस्न सारा मीठी कविताओं में
कभी नयन लिखे
कभी लब लिखे
कभी जुल्फ लिखी
तो कभी सुराही दार गर्दन लिखी
माथे की बिंदिया हो
या पैरों की पायल हो
कमर बंध हो या
हाथों का कंगना हो
हर एक लिखी हर बात लिखी
मीठी कविता लिखने के लिए औरत जात लिखी
छोड़ दिये दुःख सारे
भूल गये यातनाएं
जो सही थी उसने दिन और रात
Read More! Earn More! Learn More!