धर्म का दंभ's image

धर्म का हम दंभ भरे
मानवता को ठुकराते हैं
ईश्वर प्रदत्त मूल मन्त्र को
र्निल्लज हो झूठलाते हैं ।


जिस पंचतत्व से बने हम
उसने ना कभी कोई भेद किया
हमने रचे प्रपंच प्रिये और
जननी

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