![धर्म का दंभ's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40ajay-jha/None/1650642452483_22-04-2022_21-18-39-PM.png)
धर्म का हम दंभ भरे
मानवता को ठुकराते हैं
ईश्वर प्रदत्त मूल मन्त्र को
र्निल्लज हो झूठलाते हैं ।
जिस पंचतत्व से बने हम
उसने ना कभी कोई भेद किया
हमने रचे प्रपंच प्रिये और
जननी
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धर्म का हम दंभ भरे
मानवता को ठुकराते हैं
ईश्वर प्रदत्त मूल मन्त्र को
र्निल्लज हो झूठलाते हैं ।
जिस पंचतत्व से बने हम
उसने ना कभी कोई भेद किया
हमने रचे प्रपंच प्रिये और
जननी