
या रब तेरी इस दुनिया में,मैं नजरों की शिकार हूं,
औरत हूं मुझमें जान है,मैं क्या कोई इश्तहार हूं?
मैं ही क्यों सवाल बनूं और मैं ही क्यों जवाब दूं?
क्यों मैं ही रस्म ए हयात,निभाने की जिम्मेदार हूं?
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औरत हूं मुझमें जान है,मैं क्या कोई इश्तहार हूं?
मैं ही क्यों सवाल बनूं और मैं ही क्यों जवाब दूं?
क्यों मैं ही रस्म ए हयात,निभाने की जिम्मेदार हूं?