ग़ज़ल-तुम's image

है ख़्वाहिश मिरी ये पुकारो कभी तुम

सुनो तो! कहो भी! अरे तुम! अजी तुम!  

---------------------

भटकता रहा मैं यहाँ वाँ हमैशा

मेरा दिल गया वाँ जहां भी गई तुम 

---------------------

मयस्सर नहीं इक घड़ी चैन मुझको

मुझे याद आती रही हर घड़ी तुम 

---------------------

किराया तो दो कुछ महब्बत का मुझको,

Read More! Earn More! Learn More!