
है ख़्वाहिश मिरी ये पुकारो कभी तुम
सुनो तो! कहो भी! अरे तुम! अजी तुम!
---------------------
भटकता रहा मैं यहाँ वाँ हमैशा
मेरा दिल गया वाँ जहां भी गई तुम
---------------------
मयस्सर नहीं इक घड़ी चैन मुझको
मुझे याद आती रही हर घड़ी तुम
---------------------
किराया तो दो कुछ महब्बत का मुझको,
Read More! Earn More! Learn More!