ढलती रात के पलकों पर आसमान झुका हुआ है
तारें दरख़्तों के शाख़ पर टिमटिमा रहे हैं
हसुए के आकार का आधा-पौना चाँद
सामने वाली छप्पर पर उतर आया है
नीली रात में घुल रहे समूचे ब्रह्मांड का एकाकीपन ,
रात के नीलेपन को और भी गहरा कर रहा है
इस अकेली रात में
मेरे प्रेम के ध्रुव तारे का प्रकाश
उस भोर की दिशा में अनेकों प्रकाश वर्ष
की दूरी तय कर रहा है जिस भोर में तुम्हारे
चेहरे की गुलाबी रोशनी बिखरी हुई है
मेरे
Read More! Earn More! Learn More!