
और फिर...
उसके अंदर का दर्द
उसके सहने से
इतना ज़्यादा हो
जाएगा ना..अरसे
से खामोशी को ढोता
हुआ इंसान..थक
कर चीख उठेगा..
एक ऐसी चीख जो
सुराख कर देगी
नीले आसमान में..
और गिरने लगेंगे
उसमे से सिक्के..
चमकीले सफ़ेद,
सुनहरे..वो भीड़
जिसने अनदेखा
कर रखा था उसे...
अरे ये क्या..बिखर रहा
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