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मेरी कविता

ये उतार ये चढ़ाओ।
 ज़िन्दगी के ये पड़ाव।
ये उबड़ खाबड़ रास्ते।
चल भी दो खुदके बास्ते।
सोच समझ की रीत अनोखी।
जो दिल साजे उससे प्रीत लगाओ।
 जीवन पीड़ा मौत भी पीड़ा।
 पल जितने हैं हंसकर बिताओ।
ये काम काज की उ
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