ज़िंदगी's image

ज़िंदगी समझा रही है

कुछ तो बता रही है

ठोकरें दे देकर

वो जीना सिखा रही है


हर सुबह की ओट में

बात तो कुछ है होती

ख्वाबों से जागकर वो

हक़ीक़त में है सोती


दुनियां से हटकर

अपनी एक पहचान बनाना

काम अगर करना कोई अच्छा

हर किसी

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