आज तमाम उम्र एक पल में जीना है मुझे
लगाकर सीने से हर ज़ख्म सीना है मुझे।।
मेरी आंखों में कोई साया न तुमको देख ले
दिल की गहराई के भीतर छुपाना है मुझे।।
सहलाके मेरे ज़ख्म को क्यों कुरेदते हो इन्हें
आज हर एक ज़ख्म पे मरहम लगाना है मुझे।।
आंखो में तेरी देखकर हर दर्द भुला देता हूं मैं
तेरी हर दवा का 'कर' चुकाना है मुझे।।
ज़माना कर ले चाहें कितनी भी साजिशें
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