ओस जैसी ज़िन्दगी's image
292K

ओस जैसी ज़िन्दगी

हरे झुकते पत्तों पर

सरसराती सी फिसलन

घास पर हीरे के जैसे हो रखी

कोई नयी नवेली दुल्हन

अंततः रिसते हुए जाती मिटटी के आगोश

क्यूँ इतनी छोटी जिन्दगी होती तेरी ओस


तेरा अस्तित्व तेरा वजूद तब दिखता

जब बूंदों से होती ये ज़मीं पावन

बिन बारिश न है तू

जब होती तो पल म

Tag: poetry और3 अन्य
Read More! Earn More! Learn More!