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किसान का दर्द

ये कैसा जीवन

जुबां पे सिर्फ आह है

क्या करें पता नहीं

क्युं नहीं मिलती कोई राह है

बंज़र भूमि - बंज़र जीवन

ज़िन्दगी भी तबाह है

ये कैसा जीवन

जुबां पे सिर्फ आह है

क्या करें पता नहीं

क्युं नहीं मिलती कोई राह है


कैसे हो

बच्चों की शिक्षा पुरी

कैसे पूरी हो

परिवार की अभिलाषा अधुरी

खुद मुक्त भी नहीं हो

Tag: poetry और2 अन्य
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