जहां एक पल भी नही गुजरा तेरे बिन
वहां मैं ज़िंदगी काट रही हूं
छांट रही ही सांसों को
तेरी यादों से बांट रही हूं
उम्मींदों के उस आंचल को
अपने मन से धीरे धीरे उतार रही हूं
जहां एक पल भी नहीं गुजारा तेरे बिन
वहां मैं ज़िंदगी काट रही हूं
धोखा देकर खुद को
तुझको अभी भी अपना मान रही हूं
सपनो के संसार को
हकीकत के तूफ़ान से बचा रही हूं
बांट रह
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