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तुम बड़े ही सहज निकले मोहन!

मैंने तुमको मथुरा में खोजा मोहन,
तुम कहीं न मिले विराजे।।
मैंने तुमको बरसाने की गलियों में देखा मोहन,
तुम वहाँ भी न मिले विराजे।।

मैंने तुमको द्वारिका में खोजा मोहन,
तुम वहाँ भी न मिले विराजे।।
मैंने तुमको हर धाम में खोज मोहन,
तुम वहाँ भी न मिले विराजे।।

मैंने यज्ञ भी करवाये मोहन,
फिर भी तुम वहाँ न आये।।
हर ज्ञानी ज्योतिष को बुलाकर
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