
स्वपन हम दोनों ने ही सजाए थे पर स्वप्न सारे पूरे तुम्हारे ही हुए!
स्वपन हम दोनों ने ही सजाए थे,
पर स्वप्न सारे पूरे तुम्हारे ही हुए,
मंजिल पर पहुँचना हम दोनों को ही था,
पर न जाने क्यों रास्ते में हम ही अधूरे हुए।
तुम्हें तो साथ की जरुरत थी सफर के लिए,
हमें छोड़कर भी तुम्हारे कई साथी हुए,
हमें तो बस तुम्हारी ही आरजू रही सदा,
तुमने छोड़ा तो हम किसी के न हुए।
हमें सदा से ख्वाहिश एक ही
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