
आजा शाम होने आई
किस बात की लडाई ?
गर जिंदा रहना है ना
सबको साथ देना होगा
चाहे कुछ भी हो अखिर
गंगा – जमना तहजिब
दोस्त हमे नही है भूलना
हाथ पकडकर साथ है चलना
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आजा शाम होने आई
किस बात की लडाई ?
गर जिंदा रहना है ना
सबको साथ देना होगा
चाहे कुछ भी हो अखिर
गंगा – जमना तहजिब
दोस्त हमे नही है भूलना
हाथ पकडकर साथ है चलना