टमाटर सी हो गयी जिंदगी
रहां भी न जाये सहा भी जाये
यह कौनसा सा मोड़ आया ?
अँधेरा छाया चारोतरफ
टमाटर सी हो गयी जिंदगी
वक्त का तकाजा हैं की वह
किसीका इंतजार नहीं करता
ना ही किसी के लिएा आसु बहता
टमाटर सी हो गयी जिंदगी
मिले तो अच्छा हैं ना मिले तो
और सही क्या फर्क पड़ता हैं भाई
चावल ,गेहू, नमक, मिर्च थोड़ेही
टमाटर सी हो गयी जिंदगी
पड़े पड़े सड़ता
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