
बंद मुट्ठी बंदही रहने दो
अच्छा हैं दफन हैं वो सब राज
कमसे कम सुकून तो हैं आज
लोग कहते हैं कहने दो लोगो का क्या ?
क्या भरोसा किसीका कब धोखा दे
अपना समझे वही धोका देते हैं अक्सर
वो नासमझ हैं , उसे जीना नहीं आता
लोग कहते हैं कहने दो लोगो का क्या ?
दोस्त तो बेशक , कल रहे ना रहे
चलो अच्छा हैं उम्मीदपर हैं जिंदगी
टीकी हुई कल कि
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