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सुन ना मां

कहनी थी शायद से मुझे तुमसे कई सारी बात

रह गयी शायद आज सारी मेरे साथ


कल तक जो तू थी मेरे साथ

आज क्यों है घर में सिर्फ तेरे धुंधले से एहसास


एक कॉल जो रोज हाल पूछने आता था

मेरी बेपरवाही में मुझे जोर की डांट लगाता था

आज उसका नंबर फ़ोन पे देख

वक्त बस थम सा जाता है


सुन ना मां तेरी गोद में फिर सर रख कर

सोने का जी चाहता है


दिल ज़ोर ज़ोर से बस रोना चाहता है<

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