
नानी कहती रहती थी वक़्त बे वक़्त,
जहाँ तहाँ बैठी हुई,
बाँटो।
भाई बहन के साथ प्यार बाँटो,
माँ के काम में हाथ बाँटो,
चोट जो लग जाये तुम्हें,
तो दुःख अपना चींटी के साथ बाँटो,
दर्द ग़र ज्यादा हो तुम्हें,
तो धरती माँ संग आँसू बाँटो।
हम बुजुर्गों की उम्र रेत सी हो चली है,
हमारे साथ अपना वक़्त बाँटो।
फिर बाँटते बंटते इसी वक़्त ने बाँट दिया,
मुझे, नानी को, सुलझी गाँठों सी उनकी नसीहतों को भी,
जब वक़्त की रेत बस उँगलियों भर बची थी उनकी,
तब खुद से बुदबुदाती रहती थी न
Read More! Earn More! Learn More!