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प्रेम .....✍️ आदित्य 'आदि'

प्रेम में ठुकराए गए पुरूष, कभी किसी के हो नहीं पाते है।
उन्हें भय रहता है, छले जाने का।
उन्हें भय रहता है, मासूमियत खो जाने का।
उन्हें भय रहता है, जज़्बातों का अनियंत्रित हो जाने का।
उन्हें भय रहता है, भावनात्मक बिखराव का।

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