
ऐसा भी नहीं है की, अब प्यार नहीं करते है।
कुछ फिक्र है अपनों की,
सपनों की।
कुछ फिक्रमंद है मेरे लिए,
वक्त ठहराता नहीं है अब तेरे लिए,
डर जाता हूं अक्सर,मैं ये सोचकर,
जो चाहत हो, गऱ वो न मिला तो।
तन्हा हों जाउंगा, तन्हा होने से पहले।
कैसी रस्म-ओ-रिवाज है ये मोहब्बत की,
बिछड़ना जरूरी है मिलने से पहले
Read More! Earn More! Learn More!