![Fitrat's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40aadikal-shiv/fitrat/lord_shiva___wallpaper_by_ramawat_d6wsodx-fullview.jpg)
।। फितरत।।
कल तो सूरज की तपती किरणो संग बहुत उजाला था,
लेकिन रात को अंधियारे संग गर्मी का तो साया था,
सुबह हुई जागे सब लेकिन सुबह होना ना महसूस हुआ,
आंधी संग अंधियारे को चीरती हुई वर्षा का प्रकोप मालूम हुआ,
प्रचण्ड गरजे बादल, लगा कि भयंकर वर्षा होने वाली है,
लेकिन गरजने वाले बरसते नही, बादलो की फितरत ही निराली है,
चिंतामुक्त होकर वापस सो गये, सोचा कौनसी वर्षा होने वाली है,
बादल बरसे, मालूम पडा की बादलो की फितरत ही बदलने वाली है।।
फितरत बदलना एक अजूबा है, लेकिन ये इंसानो से तो धोखा है,
बदलने वाली फितरत से निर्बल इंसानो को तो नुकसान होता है,
फिर कुछ क्षण तक तो हुई बारिश, फिर सब सामान्य सा हो गया,
हसने लगे लोग और कहने लगे बादल का कोहराम कहॉ खो गया,
फितरत बदलने में हमसे क्षीण है, कुछ क्षण टपक कर ही सो गया,
फितरत मे हमे न हरा पायेगा, लगता है आज का उसका हो गया,
प्रतीत हुआ कि बादल हंसने लगे और वापस वर्षा जल आ गया,
वापस आकाश में बादलो की गडगडाहट और अंधियारा सा छा गया,
ये दृश्य तो ओर भी प्रचण्ड था, वर्षा के साथ अब ओलो का भी संग था,
बादलो की बिन मौसम बरसात का ये स्वभाव तो बेहद ही बेढंग था।।
अब बदल गई लोगो की वाणी, कहा अब तो बहुत हाहाकार हो गया,
बहुत हुआ नुकसान, छत से पानी ट