
घुट घुट पिया है जहर हम ने,
खुद को बनाया समंदर हम ने,
जिये तन्हाइयों में इतना सब्र से
बनाया खुद एक शहर हम नेे।
खा कर कदम कदम धोके,
खुद पें भरोसा पाया हम ने,
छोड़
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घुट घुट पिया है जहर हम ने,
खुद को बनाया समंदर हम ने,
जिये तन्हाइयों में इतना सब्र से
बनाया खुद एक शहर हम नेे।
खा कर कदम कदम धोके,
खुद पें भरोसा पाया हम ने,
छोड़